एक नाटक में नौटंकी का दृश्य है यह। नाटक इप्टा की संस्था का था और जगदलपुर इकाई द्वारा कोंडागांव में मंचित किया गया। नाम था चंद्रमासिंह उर्फ चमकू। निर्देशक विजयसिंह। लेखक भानूभारती। नौटंकीवाली के वेश में मैं स्वयं। इस यादकार भूमिका के अलावा इस नाटक में मैंने और भी कई भूमिकाएं अदा की थीं। तस्वीर में मेरे साथ रंगकर्मी हरीश। छाया-त्रिजुगी कौशिक। वेशभूषा-धर्मेन्द्र यदु (कोंडागांव)।
jee karta hai choom loon
जवाब देंहटाएंchndrama urf chamku mein tumne jo abhiny kiya tha vah adbhut tha wei din rangkarm kein din the ab toh jaise rangkarm mar gaya
जवाब देंहटाएंधन्यावाद विजय भैया। असल में आपका निर्देशन अदभुत था। दंडनायक भी मुझे याद है। उससे पहले सीतारामजी के निर्देशन में लोककथा 88 भी याद है। इस नाटक में भी आपका योगदान कम नहीं था। आपका आभार, जो इस ब्लाग में आए। आते रहिएगा।
जवाब देंहटाएंमंजू आपने भी अपने अनोखे अंदाज में तारीफ की शुक्रिया। आभार।
आपकी इन अदाओं पर न जाने कितने फिदा हुए होंगे....
जवाब देंहटाएंचलो हम भी फिदा हो गए.....
बहुत खूब .....