गुरुवार, 1 सितंबर 2011

अप्रकाशित इतिहास


कोई पंद्रह-बीस साल पहले धमतरी के सावपारा (शिवचौक) के निवासी एक बुजुर्ग जयकिशुन साव के पास एक पुराना दस्तावेज देखने को मिला। मुझे लगा यह ऐतिहासिक महत्व का हो सकता है, इसलिए मैंने उसकी फोटो कापी मांग ली। मुझे इतिहास की ज्यादा समझ नहीं है, इसलिए इस दस्तावेज के महत्व का ठीक-ठीक आंकलन नहीं कर सकता। दस्तावेज यहां पोस्ट कर रहा हूं। यह किलेकांकेर के राजा नरहरदेव से संबंधित है। उम्मीद करता हूं कि इसकी ऐतिहासिकता समझाने में आप सब मदद करेंगे।

थोड़ी पृष्ठभूमि यह भी है कि धमतरी का सावपारा पुराने मालगुजारों का मोहल्ला है। आज भी वहीं की बुलंद इमारतें इन मालगुजारों के किस्से कहती नजर आती हैं। असल में साव एक उपाधि है, ज्यादातर मालगुजार ब्राह्मण रहे और उनका सरनेम मिश्रा है।

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