गुरुवार, 29 सितंबर 2011

अगंभीर घटनाओं का गंभीर लेखक (आलोक कुमार सातपुते की रचनाओं पर विमर्श)

कृति विमर्श कार्यक्रम के अंतर्गत बीते दिनों लघुकथाकार आलोक कुमार सातपुते की अब तक प्रकाशित चार कृतियों पर विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम जनता स्कूल, भिलाई-3 में हुआ। इस अवसर पर मराठी अनुवादक भीमराव गणवीर (नागपुर) और उड़िया अनुवादक हेमंत दलपित (उड़िया) विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्यअतिथि कथाकार लोकबाबू थे। प्रमुख वक्त के तौर पर धमतरी की शैल चंद्रा, रायपुर की वर्षा रावल, बिलासपुर के डा.अशोक शिरोडे, बलौदाबाजार के अनिल भतपहरी, भिलाई के छगनलाल सोनी, चंद्रिका मढ़रिया एवं कुम्हारी के सुरेश वाहने उपस्थित थे। श्री सातपुते की जिन कृतियों पर चर्चा हुई वे हैं-अपने अपने तालिबान, बैताल फिर डाल पर, मोहरा तथा बच्चा लोग बजाएगा ताली। इन कृतियों की समीक्षा करते हुए वक्ताओं ने कहा कि श्री सातपुते की कृतियां समाज में घटित सूक्ष्म घटनाओं की पड़ताल हैं। हालांकि इनमें से कुछ रचनाएं अगंभीर किस्म की भी हैं। इन कहानियों में करारा व्यंग्य है। ये कृतियां समाज की बेईमानी को रेखांकित करती हैं। वक्ताओं ने इन कृतियों को बड़े प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित किए जाने को एक उपलब्धि बताया। 

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