रायपुर। बरसों पहले पढ़ी एक कविता के कुछ शब्द याद आ रहे हैं:-
एक चिड़िया का बच्चा/ सूरज की तपिश से झुलसने लगा/ तो जाने क्या सूझी/ कि सिर उठाकर थूक दिया/ सूरज के मुंह पर...
पता नहीं क्यों, नत्था से मुलाकात के वक्त यही कविता जेहन में गूंज रही थी। मीडिया बार-बार एक ही सवाल कर रहा था-कहीं गुम तो नहीं हो जाओगे नत्था? ये कामयाबी दुहरा पाओगे? नत्था ने पटक कर जवाब दिया-कामयाबी मिलती रहे तो ठीक, वरना मैं थिएटर में भी खुश हूं।
आमिर खान की फिल्म पीपली लाइव का मुख्य किरदार नत्था यानी ओंकारदास मानिकपुरी भारी कामयाबी के साथ अपने घर छत्तीसगढ़ लौटा है। अपने ठेठ छत्तीसगढ़िया रंग और ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज में। धन-दौलत, नाम-वाम ठेंगे पर।
nattha apni patni ke sath, jamul (bhilai) me |
दो लाख रुपए में से नत्था को डेढ़ लाख रुपए मिले थे। नत्था कहता है-वो तो मैंने खाकर उड़ा दिए। सन् 2008 में पीपली लाइव के लिए आडिशन हुआ था, इसके बाद से लेकर अब तक परिवार भी तो चलाना था। शूटिंग से लेकर फिल्म रिलीज होने तक आमदनी का और कोई जरिया भी तो नहीं था। अभी 50 हजार रुपए और मिलने हैं। अब इतने रुपयों से उसकी झोपड़ी तो बंगले में तब्दील होने से रही। बच्चे अच्छे स्कूलों में दाखिल होने से तो रहे। गरीबी और फांका-मस्ती तो जाने से रही। इस कलाकार का संघर्ष थमने से तो रहा। ...यानी इस बार भी नत्था की कामयाबी का फुटेज जुटाने गई मीडिया की भीड़ को मायूसी ही हाथ लगी। अब वही सवाल एक बार फिर आकर खड़ा हो गया है-ये नत्था मरेगा कि जिएगा।
नत्था, सॉरी, ओंकारदास मानिकपुरी की मां गुलाबबाई बताती हैं कि बचपन में पिता ने बहुत चाहा कि नत्था थोड़ा-बहुत पढ़ लिख ले। नत्था को नहीं पढ़ना था, सो नहीं पढ़ा। बचपन में ही टीन-टप्परों की पीटकर देख लिया था कि इनसे कितनी तरह की ताल निकाली जा सकती है। इस रिदम पर डांस के कितने स्टेप निकाले जा सकते हैं। पता था कि नाटक-नौटंकी रोटी नहीं दे सकती, तब भी नौटकीबाज हो गया। गुरुओं को ढूंढ-ढूंढकर गुर सीखे और पक्का गम्मतिहा हो गया। हबीब तनवीर की नजर पड़ी तो 70 रुपए रोजी में अपने साथ ले लिया। जो कलाकर अपनी कला को जिंदा रखने के लिए र्इंट-गारे ढो रहा हो, उसे वही कला यदि पेटभर भोजन का भरोसा दे रही थी। इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती थी। ओंकारदास उर्फ नत्था हबीब साहब के साथ हो लिए। धन्य है नत्था की बीवी शिवकुमारी, पति को टोका तक नहीं। उल्टे मौका मिला तो अपने बेटे देवेंद्र को भी इसी दुनिया में झोंक दिया। देवेंद्र ने पीपली लाइव में भी नत्था के बेटे का ही किरदार निभाया है। वैसे इस फिल्म में धनिया के किरदार के लिए खुद शिवकुमारी ने भी आडिशन दिया था, पर बेचारी कामयाब नहीं हो पाई। वह पति की कामयाबी पर ही कुप्पा हुई जा रही है, यहां हम जो तस्वीरें छाप रहे हैं उनमें जरा शिवकुमारी की आंखों में चमक तो देखिए।
किसी ने जामुल में नत्था से सवाल किया-क्या आप इसे किस्मत मानते हैं या कामयाबी प्रतिभा की बदौलत मिली? नत्था का जवाब ईमानदार था। उसने कहा कि किस्मत मेहरबान रही। नत्था की भूमिका के लिए भोपाल के सभी थिएटरों के कलाकारों का आडिशन लिया गया था। चूंकि पीपली लाइव की डायरेक्टर अनुषा रिजवी का हबीब तनवीर के ग्रुप नया थिएटर में आना-जाना था, इसलिए उन्होंने वहां से भी कलाकार मांग लिए। एक साथ पांच कलाकार आडिशन के लिए भेजे गए। पहले तीन कलाकारों का आॅडिशन होते तक समय पूरा हो गया। ओंकार को दूसरे दिन आने को कहा गया। दूसरे दिन ओंकार ने जिस रोल के लिए आॅडिशन दिया, वह मछुआ का रोल था। हिस्से में सिर्फ दो लाइन का संवाद आया था। आमिर खान और अनुषा रिजवी ने सभी आॅडिशन के रिजल्ट देखे और ओंकार का परमार्मेंस देखर कहा-मिल गया नत्था।
ओमकार तो इसे अपनी किस्मत मानते हैं। और आप क्या मानते हैं?
बहुत सुन्दर रपट लिखा है भाई, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआपका यह ब्लॉग आज देखा, शव्दों में अभिव्यक्ति का आपका अंदाज पसंद आया. छत्तीसगढ़ ब्लागर्स चौपाल में आपका स्वागत है।
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एक अच्छी प्रस्तुति है|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहम आप के लिऐ काफी सुखद मसाला हो सकता हैं पर नत्था को तो अब फिल्मी सच्चाई से अब दो दो हाथ करने हैं हर कोई अमिताभ तो हो नही सकता............सतीश कुमार चौहान भिलाई
जवाब देंहटाएंhum to khush he aakhir cg hamri janmbhoomi jo he
जवाब देंहटाएंmanoj kumar