मैं आपको यह खबर इसलिए नहीं दे रहा हूं, कि यह सनसनीखेज है। इस तरह की घटनाएं देश के दिगर इलाकों में नहीं होती होंगी, ऐसी भी बात नहीं। असल में इस तरह की घटनाओं पर आम लोगों में बड़ी बहस नहीं हो पाती। एक बहस की उम्मीद में यह दर्दनाक खबर पेश कर रहा हूं। मैं नया ब्लागर हूं, लेकिन मैंने महसूस किया है कि ब्लागिंग की इस दुनिया में सरकार नहीं बोलती, अखबार नहीं बोलते, सीधे पब्लिक बोलती है।
खबर यह है कि रायपुर के करीब के एक गांव में एक घर में तीन बच्चों की हत्या गला रेत कर कर दी गई। हत्यारे ने लाशों पर मिट्टी का तेल उड़ेल कर उसे जलाने की भी कोशिश की। मकान मालिक किसी काम से शहर गया था। घर पर बच्चे अकेले ही थे। अब तक की जांच में यह सामने आया है कि हत्या गांव के ही दो बच्चों ने की थी। इन्हें वे २५ हजार रुपए चाहिए थे, जो घर की आलमारी में रखे हुए थे। चोरी की कोशिश की, पकड़े जाने के डर से हत्याएं कर दी।
सवाल-
१. गांव में सीमित जरूरतों के बीच पल रहे बच्चों को २५ हजार रुपए हांसिल करने का खयाल क्यों आया?
२. अपराध के शातिर तौर-तरीके वे कहां से सीख रहे हैं?
३. वहशियाना मिजाज बच्चों में कैसे पनप रहा होगा?
४. क्या मीडिया की इस अपराध में कोई भूमिका है?
५. क्या बाजार की इस अपराध में कोई भूमिका है?
६. क्या शिक्षा प्रणाली की इस अपराध में कोई भूमिका है?
७. क्या सरकार की इस अपराध में कोई भूमिका है? क्या उसके हाथ बदल रहे समाज की नब्ज पर हैं?
हो सकता है कि इनमें से कुछ सवाल बेवजह लगें, आप अपनी ओर से उन्हें खारिज कर दीजिए और नये सवाल जोड़कर जवाब दीजिये ?
yah sirf dardnak kaha ja sakta hai. Media aur bazar kee isme aparokdh bhoomika to hai hee. jo milta nahee use cheen lo. naye naye products ko man mohak tareeke se pesh kar lalchate hain ye log. yah bhee dekhna hoga ki isme atankwadiyon ki to mili bhagat nahee hai.
जवाब देंहटाएंrajya banane ke bad jis tarah ki loot khasot machi hai yah usi ka parinam hai,ham bhi doshi hai kyoki khamoshi se aparadh karane walon ke hausale afazai ham hi kar rahen hain
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