जरा इधर भी
सोमवार, 16 अगस्त 2010
मुझे शिकायत थी कि ईश्वर ने मेरे पांव में चप्पल नहीं दिए, एक दिन मैंने एक ऐसे आदमी को देखा जिसके पांव ही नहीं थे...
1 टिप्पणी:
Udan Tashtari
16 अगस्त 2010 को 9:05 pm बजे
ओह!! एक सीख है संतुष्ट होने को!
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ओह!! एक सीख है संतुष्ट होने को!
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