शनिवार, 28 अगस्त 2010

वेदांता का एक और कारनामा

शुरू से विवादास्पद रहे औद्यागिक समूह वेदांता का एक और कारनामा छत्तीसगढ़ के अखबारों की सूर्खियों में है। खबरों के मुताबिक वेदांता के नियंत्रण वाले बालको ने प्लांट के विस्तार के लिए जंगल के ५० हजार से अधिक पेड़ों को काट डाला है।
बीती ताही 
१. केंद्र ने निजी क्षेत्र की वेदांता सर्विसेज समूह पर वन एवं पर्यावरण कानून का उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई करते हुए की उड़ीसा में उसकी 1.7 अरब डॉलर की बाक्साइट खनन की एक परियोजना की मंजूरी खत्म कर दी है।

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने इस निर्णय की घोषणा करते कहा कि उड़ीसा सरकार और वेदांता के नियामगिरी पहाड़ी क्षेत्र में खनन से पर्यावरण संरक्षण कानून, वन संरक्षण और अधिकार कानून गंभीर उल्लंघन हुआ है। 

वन सलाहकार समिति (एफएसी) की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि इसीलिए लांजीगढ़, कालाहांडी और रायगगढ़ा जिलों में फैले नियामगिरी पहाड़ी क्षेत्र में राज्य के स्वामित्व वाली उड़ीसा माइनिंग कॉर्पोरेशन तथा स्टरलाइट बाक्साइट खनन परियोजना के दूसरे चरण की वन मंजूरी नहीं दी जा सकती।

समिति ने राज्य सरकार के साथ वेदांता खनन परियोजना को दी गई वन एवं पर्यावरण संबंधी दीगई सैद्धांतिक मंजूरी वापस लेने की सिफारिश की थी। उधर, भुवनेश्वर में उड़ीसा के औद्योगिक एवं इस्पात था खान मंत्री रघुनाथ मोहंती ने फैसले को ‘अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया।


http://hindi.webdunia.com/news/business/news/1008/24/1100824062_1.htm (साभार) 


2.पिछले महीने कोरबा में गिरी जानलेवा चिमनी वाले कांड को, जिसे अब तक समूचे मीडिया में बालको कांड का नाम दिया जा रहा है, आखिर किसने अंजाम दिया है? ज़ाहिर है, कंपनी तो बालको ही है, लेकिन इसे कोरबा कांड कहने के पीछे एक सैद्धांतिक वजह है. 

आधिकारिक रूप से 41 मजदूरों की जान ले चुकी इस दुर्घटना को समूचे मीडिया में बालको कांड के नाम से पुकारा गया. बालको कभी भारत सरकार का उपक्रम था, अब नहीं है. इसके मालिक हैं अनिल अग्रवाल, जो अरबों डॉलर की लंदन में सूचीबद्ध कंपनी वेदांता-स्टरलाइट के मालिक हैं. तो दुर्घटना को बालको के नाम से जोड़ना एक मनोवैज्ञानिक छवि पैदा करता है कि यह दुर्घटना एक सरकारी कंपनी में हुई है.
कोरबा वेदांता

पहले साफ कर लें कि ऐसा नहीं है. बालको के 51 फीसदी शेयर अनिल अग्रवाल की स्टरलाइट ने 2001 में ही 551 करोड़ रुपये चुका कर खरीद लिए थे, जब कंपनी के पास कुल नकदी 447 करोड़ रुपये ही बची थी. तो सबसे पहली बात, इस दुर्घटना की कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी बालको के प्रबंधन यानी वेदांता-स्टरलाइट कंपनी पर बनती है. 

http://raviwar.com/news/239_vedanta-balco-mishap-abhishek-shrivastav.shtml (SABHAR)
3. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इंग्लैंड की एल्युमिनियम कंपनी वेदांता की आलोचना की है और कहा है कि उसने उड़ीसा में स्थानीय लोगों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है.
कंपनी ने भारत सरकार से मांग की है कि स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुलझाए बिना वो वेदांता को आगे विस्तार की अनुमति न दे.
हालांकि वेदांता कंपनी ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि वो मानवाधिकारों का सम्मान करती है और ऐसा कोई भी काम नहीं किया गया है जिससे स्थानीय लोगों को नुक़सान हो.
रिपोर्ट जारी करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल के दक्षिण एशिया शोधकर्ता रमेश गोपालकृष्णन ने कहा, "वेदांता की वजह से यहां भारी जल और वायु प्रदूषण फैल रहा है जिससे यहां के लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है."

http://thatshindi.oneindia.in/news/2010/02/09/amnestyvedantasm.html



4. छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों ने वेदान्त समूह को कैंसर अस्पताल के लिए नई राजधानी में 50 एकड भूमि देने पर आज कड़ी आपत्ति जताई।
विपक्ष के नेता रवीन्द्र चौबे ने प्रश्नोत्तरकाल के दौरान कहा कि वेदान्त समूह को नई राजधानी में 50 एकड़ भूमि महज एक रूपये दी गयी है. जबकि एक निजी विश्वविद्यालय को बगैर नियामक आयोग की मंजूरी के ही जमीन दे दी गयी है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए राजधानी क्षेत्र में जमीनों की बंदरबांट हो रही है।
 उन्होंने जानना चाहा कि वेदान्ता समूह को कैंसर रिसर्च सेन्टर की स्थापना के लिए भूमि आवंटन से पूर्व क्या अन्य दूसरी संस्थाओं से भी प्रस्ताव मंगाए गए थे।

उन्होने वेदान्त समूह पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोरबा एवं मैनपाट के लोगों को इस समूह की कार्यप्रणाली के बारे में बेहतर पता है। 


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