रंजना राठौड़ |
मुकुंद ने विज्ञापन की ओर संकेत किया-इसे पढ़ो।
दरअसल विज्ञापन में किडनी चाहिए शीर्षक से मार्मिक अपील छपी थी। नीचे नाम पता नहीं था। संपर्क के लिए केवल मोबाइल नम्बर प्रकाशित था। रंजना ने पूछा-क्या रक्तदान करने से मन नहीं भरा। कहीं किडनी दान के बारे में तो नहीं सोच रहे हो। मुकुंद ने सहमति से सिर हिलाते हुए कहा-मैंने सुना है कि मनुष्य एक किडनी में भी स्वस्थ रह सकता है। इस शरीर का क्या है, आज है कल नहीं। पर जीते-जी किसी के लिए शरीर का ऐसा अंग दान कर दें, जिसके बगैर जीवन चल सकता हो तो क्यों न किसी और को दान करके उसे जीवन दे दें हम। बी. पाजिटिव ग्रुप वाले की किडनी चाहिए।
उन्होंने इस बारे में डाक्टरों से राय ली। डाक्टर तो पहले यही पूछते थे कि किडनी क्यों दान करना चाहते हो। उन्हें पहली नजर में ऐसा लगता कि कहीं ये पैसों के लेन-देन का मामला तो नहीं। लेकिन जब डाक्टरों को राठोड़ परिवार की अच्छी हैसियत का पता चलता हो गलतफहमी दूर हो जाती। उन्हें यह जानकार आश्चर्य होता कि मात्र मानवीय सहायता के लिए वे किडनी दान करना चाहते हैं। ठीक वैसे ही जैसे वे अब तक रक्तदान करते आए हैं।
डाक्टरों ने उन्हें समझाया कि किडनी दान करने के बाद जीवन में ऐहितायत कितना जरूरी हो जाता है। कितनी सावधानी बरतनी पड़ती है। वे भारी सामान नहीं उठा पाएंगे। मोटर साइकिल नहीं चला पाएंगे, उन्हें धक्का-मुक्की से बचना होगा, गिरने से बचना होगा।
रंजना को भी लगा कि उनके पति को शारीरिक मेहनत करनी पड़ती है। तब ये सावधानियां असंभव हो जाएंगी। लेकिन वह पति की इच्छा को टालना भी नहीं चाहती थी। तब रंजना ने स्वयं किडनी दान करने का सकल्प लेते हुए पति से चर्चा की। अंततः मुकुंद को रंजना की भावना का सम्मान करना पड़ा।
यह सब इतना आसान नहीं था। विज्ञापन में दिए नंबर पर संपर्क साधा गया। संपर्क करने से पता चला कि सलीमा को किडनी की जरूरत है। वह डायलिसिस पर थी। उसका एक मासूम बच्चा भी है, जिस देखकर रंजना का मनभर आया। घर के अन्य सदस्य दूसरे कारणों से किडनी नहीं दे पा रहे थे। सलीमा के पति इकबाल यदि किडनी देते तो उनका व्यवसाय संभालने वाला कोई नहीं था। इसीलिए उन्होंने अखबार में विज्ञापन दे दिया था। एक खास बात और कि मुकुंद स्वयं अपने व्यवसाय के सिलसिले में कुम्हारी से रायपुर आना-जाना करते थे, अतः वे एक-दूसरे से परिचित भी थे। लेकिन विज्ञापन में अधूरी जानकारी छपी होने के कारण पहचान नहीं पाए।
रंजना ने अपनी बात रखते हुए किडनी दान करने की इच्छा जाहिर की। सलीमा को जैसे जीवन में नई किरणें दिखाई देने लगी। इकबाल को तो विश्वास ही नहीं हुआ। लेकिन जब रंजना ने गंभीरता से कहा कि मैं अपनी किडनी देकर सलमा की जिंदगी बचाउंगी, तो इकबाल भावविभोर हो गए। उन्होंने पूछा कि इसके बदले आपकी क्या इच्छा है, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं, तो मुकुंद मुस्कुरा दिए। उन्होंने कहा-बदले में हमें कुछ नहीं चाहिए।
दुर्ग कलेक्टर द्वारा रंजना के परिवार के सदस्यों से रंजना की किडनी के दान की सहमति का शपथ पत्र लिया गया। जरूरी औपचारिक प्रक्रिया में डेढ़ साल लग गए। 7 जुलाई को सुबह 10 बजे कमलनयन बजाज हास्पिटल औरंगाबाद में सलीमा को आपरेशन थिएटर पर ले जाया गया। इसके बाद रंजना को। रंजना की किडनी सलमा को प्रत्यारोपित कर दी गई।
आइए रंजना और सलमा की लंबी उम्र के लिए दुआएं करें। रंजना के घर का पता -हाउसिंग बोर्ड कालोनी, जनता क्वार्टर नं.28, वार्ड नं.15, कुम्हारी, जिला दुर्ग, पिन-490042।
इस ब्लाग पर यह आलेख
सुरेश वाहने
शिवनगर, कुम्हारी (दुर्ग)
मो.09301095646
सहयोग
आलोक कुमार सातपुते
कुछ लोग हैं जिनके दम पर यह दुनिया कायम है। सैल्युट है रंजना जी को एवं मुकुंद राठौड़ जी को।
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों से ही अभी आस्था बनी हुई है .. रंजना जी और मुकुंद जी को नमन
जवाब देंहटाएंसलाम है रंजना को।
जवाब देंहटाएंरंजना और सलमा की लंबी उम्र की दुआएं..............
अपने जीवन से ज्यादा दूसरे का जीवन माना।
जवाब देंहटाएंरंजना और सलमा की लंबी उम्र की दुआएं.........
जवाब देंहटाएंदुबारा-तिबारा पढ़कर भी भरोसा होने में वक्त लगा.
जवाब देंहटाएंदुनिया मे संतुलन इसी वजह से बना हुआ है। कहीं नि:स्वार्थ सेवा, कहीं कृपणता, गुण अवगुण से जग सना हुआ है। धन्य हैं ये, हमारा कोटि कोटि प्रणाम!
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों की वहज से ही दुनिया में अब भी इंसानियत बाक़ी है... रंजना जी और मुकुंद जी को नमन....
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है हम सभी की और से आपको एवं आपके सम्पूर्ण परिवार को नवरात्र की शुभकामनायें
http://mhare-anubhav.blogspot.com/