मैं दैनिक भास्कर के उज्जैन ब्यूरो में सिटी रिपोर्टर पदस्थ हुआ। नया-नया था। उस प्राचीन नगरी के चप्पे-चप्पे को लेकर गजब का कौतुहल था। जो बीट मिली उनमें महाकाल मंदिर और प्रचीन वेधशाला भी शामिल थी। वेधशाला काफी जर्जर हालत में थी। मैं उसकी हालत देख दुखी था। मैंने उस पर एक रिपोर्ट फाइल की। तब मेरे कुछ साथियों ने कहा-हर नया रिपोर्टर वेधशाला पर ऐसी ही रिपोर्ट लिखता है। असर कुछ नहीं होता।...बहरहाल रिपोर्ट छपी और कुछ ही दिनों बाद पता चला की वेधशाला के जिर्णोद्धार के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। मैं नहीं कह सकता कि यह मेरी ही रिपोर्ट का असर था। लेकिन उस वेधशाला को संवरते देखना बड़ा ही सुखद अनुभव था। जीर्णोद्धार भी इस तरह किया गया कि उसके यंत्रों की गुणवत्ता अप्रभावित रही। इस तस्वीर की पृष्ठभूमि में संवरती वेधशाला नजर आ रही है। यह एक और ऐतिहासिक मौका था। मैंने सोचा इस वेधशाला के साथ एक मेरी भी तस्वीर क्यों न हो जाए।
रिपोर्ट भी लगा देते।
जवाब देंहटाएंउस रिपोर्ट की कतरन यदि हो तो उसे भी पोस्ट करें।
जवाब देंहटाएं@देवेंद्र जी, अतुल जी
जवाब देंहटाएंदुर्भाग्य से मेरे पास उस रिपोर्ट की कतरन नहीं है।
अपनी रिपोर्टों को संकलित करके रखने की आदत नहीं डाल पाया मैं।
@ अतुल जी ने बिलकुल सही कहा केवल जी
जवाब देंहटाएंउस रिपोर्ट की कतरन यदि हो तो उसे भी पोस्ट करें।
अच्छी खबर...
जवाब देंहटाएंबधाई..