मंगलवार, 3 जनवरी 2017

शब्द

शब्दकोषों में
कहां है इतनी जगह
कि समेट लें
शब्दों के सारे के सारे अर्थ।
शब्द, ध्वनियों का समुच्चय भर कहां?
ध्वनियों के अंतराल में भी तो-  
धड़कते हैं खामोश अर्थों के साथ।
और बांचे जाते हैं
बिना कहे, बिना सुने

शब्दकोषों में
इतनी जगह कहां
कि समेट ले
अनंत ब्रह्मांड की गहराईयों में तिरते
धड़कते हुए शब्दों के
सारे के सारे खामोश अर्थ।


-केवलकृष्ण

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