शब्दकोषों
में
कहां
है इतनी जगह
कि
समेट लें
शब्दों
के सारे के सारे अर्थ।
शब्द,
ध्वनियों का समुच्चय भर कहां?
ध्वनियों
के अंतराल में भी तो-
धड़कते
हैं खामोश अर्थों के साथ।
और
बांचे जाते हैं
बिना
कहे, बिना सुने
शब्दकोषों
में
इतनी
जगह कहां
कि
समेट ले
अनंत
ब्रह्मांड की गहराईयों में तिरते
धड़कते
हुए शब्दों के
सारे
के सारे खामोश अर्थ।
-केवलकृष्ण
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