पड़ोस का कलाकार
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श्री एम.आर.कुरैशी |
सड़क से गुजरते हुए अप्रयास ध्यान उस घर की ओर चला जाता। घर की बैठक बिलकुल सामने है। उस बैठक की एक दीवार पर बड़ी सी पेंटिंग टंगी हुई है। यह पेंटिंग बार-बार मेरा ध्यान खीचती। पड़ोसी नये थे, इसलिए इसके बारे में अपनी जिज्ञासा जाहिर नहीं कर सकता था। जनपहचान गढाई तो मैंने पूछ ही लिया। पता चला कि यह कृति पड़ोसी ने स्वयं तैयार की है। श्री एम.आर.कुरैशी ने खैरागढ़ कला विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है। वे ज्ञान गंगा स्कूल रायपुर में ड्राइंग टीचर हैं। उनकी इजाजत से मैंने उनकी पेटिंग को अपने कैमरे में कैद किया था। श्री कुरैशी एक संकोची कलाकार है और अपनी कला के बारे में ज्यादा कहते-बोलते नहीं।
जब रात अंगूरी हो तो सुबह सिंदूरी होती है.........:)
जवाब देंहटाएंकला , विचार , और चित्रकारी ये सभी अपनी मनो अभिवक्ति प्रस्तुत करने के प्रकार है...
जवाब देंहटाएंजो जिनता खुद को जानता है वो उतना ही लोगो से जुड़ जाता है और उनके मन को मोहने के बाद भी
अपनी सरलता में रमा रहता है और अभिमान का एक तिनका भी उसके व्यक्तिव को नहीं छु पाता है |
एक नये कलाकार से परिचय कराने के लिए आपका आभार और कुरैशी साहेब को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा मिलकर।
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मिल गयी दूसरी धरती?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
अच्छी कलाकृति।
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