अच्छा लगा. हमेल में जो सिक्के टंके होते हैं (अरबी में लिखे हुए) वे वास्तव में सिक्के नहीं हैं. स्थानीय सुनार ठप्पों से बनाया करते थे.
पंहुची, खिनवा, रूपिया, करधन, बिछिया, पैइरपट्टी, सूंता, संग पीपली दास मानिकपुरी, अहा! नगीन को अपने छत्तीसगढ़ी गहनो के साथ देखना बहुत अच्छा लगा. जय महादेव की! हबीब सर, देख रहो हो आप भी] चोला माटी के हे ना? इस वीडियो के लिए बहुत बहुत केवल भाई.
अच्छा लगा. हमेल में जो सिक्के टंके होते हैं (अरबी में लिखे हुए) वे वास्तव में सिक्के नहीं हैं. स्थानीय सुनार ठप्पों से बनाया करते थे.
जवाब देंहटाएंपंहुची, खिनवा, रूपिया, करधन, बिछिया, पैइरपट्टी, सूंता, संग पीपली दास मानिकपुरी, अहा! नगीन को अपने छत्तीसगढ़ी गहनो के साथ देखना बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंजय महादेव की! हबीब सर, देख रहो हो आप भी] चोला माटी के हे ना?
इस वीडियो के लिए बहुत बहुत केवल भाई.