मंगलवार, 23 नवंबर 2010

बस इतना (कविता)

मुझे क्या चाहिए
बस इतना कि दोनों बांहें पसार कर
जब मैं कहूं आओ
तो तुम आ जाओ

मुझे क्या चाहिए
बस इतना कि तुम्हारा हाथ थाम कर
जब मैं कहूं चलो
तो तुम साथ चलो

मुझे क्या चाहिए
बस इतना कि बेहद उदास क्षण में
जब मैं डूबता जाऊं खुद के भीतर
तब उबार लो मुझे

मुझे क्या चाहिए
बस इतना कि जब मैं हारने लगूं
तब तुम कहो
लड़ो, अभी और लड़ो

5 टिप्‍पणियां:

  1. मुझे क्या चाहिए
    बस इतना कि जब मैं हारने लगूं
    तब तुम कहो
    लड़ो, अभी और लड़ो
    बहुत सुन्दर सच्चा साथी इसी लिये होता है। शुभकामनायें।

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  2. वाह ....बहुत बढ़िया...लाज़बाब...इतना तो मिल ही सकता है आपको...इतना तो डिजर्व करते ही हैं आप.....!

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  3. यही कामना हम सब करते हैं अपने साथी से, जन-मन की बात कही है भाई, धन्‍यवाद.

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