संवेदनाएं खामोश
जज्बातों के खंडहर में
फड़फड़ा रही है अभिव्यक्ति
ये कैसा समय है दोस्तों
कि हम और तुम
बहुत कुछ कहना चाह रहे हैं
और कुछ भी कह नहीं पा रहे
कितनी गर्म है हवाएं
और कितनी भयंकर ये रात
सूरज कैद है
दुश्मनों की हवेली में
पर जरा ठहरो. . .
उधर वो उजियाला कैसा
वो लहराता उजियाला
वही वो मद्दिम-मद्दिम सा
कुछ जल रहा है वहां
अरे!!
ये तो जज्बात हैं
हमारे तुम्हारे
ये तो फड़फड़ाती अभिव्यक्ति है
हमारी तुम्हारी
. . . . . तो रोशनी की उम्मीद
अभी बाकी है दोस्तों!!
-केवल कृष्ण
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएं'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
जवाब देंहटाएंदीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर