शनिवार, 7 अगस्त 2010

पहली पाती


दोस्तों, इन दिनों में शहर में बारिश हो रही है। मौसम बड़ा ही प्यारा हो गया है। जो नदियां और तालाब सूख चुके थे, वे अब लबालब हैं। छलकती हुई नदी और तालाबों के किनारों पर बैठकर इनकी लहरों का मजा लेने की जी तो बहुत करता है, पर व्यस्तता की वजह से ले नहीं पाता। रास्ते से गुजरते हुए ही सुकून लूट लेता हूं। अभी थोड़े दिनों पहले तक जो धरती बेहद प्यासी नजर आ रही थी, अब अघाई हुई नजर आ रही है। बेहद संतुष्ट भी। हर तरफ इतनी हरियाली है कि देखकर मन भी हरा-भरा हो जाता है। मैं चाहता हूं कि ऐसी ही हरियाली हमेशा नजर आए, हर मौसम में, गरमी के मौसम में भी। मेरे शहर में मेरी तरह बहुत से लोग भी शायद ऐसा ही चाहते हैं। हम सबको पता है कि इतनी सारी हरियाली के लिए खूब सारे पेड़ लगाने होंगे। इस साल एक मैंने एक पेड़ लगाया है, यदि आपने भी लगाया हो तो लिखकर बताना जरूर।

9 टिप्‍पणियां:

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  2. बात बातों में बात कहने की बात बढ़िया बात.

    लिहाज़ा दुनिया से दहशतगर्दी का अगर ख़ात्मा करना चाहते हैं तो सबसे पहले दहशतगर्द को दहशतगर्द कहने की हिम्मत जुटाएं वरना इन्सानियत का दावा करना तर्क कर दें।
    http://haqnama.blogspot.com/2010/08/terrorism-and-its-solution-sharif-khan.html

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  3. bhaiya maine bhi paudhaa ropa tha, aapke akhbar ke puraane daftar ke paas sthit apne ghar ke saamne, kabhi aayein to dekhiyega ab vah paudga kaisa dikh rahaa hai....

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  4. पौधा तो मई रोज लगा रहा हूँ पानी भी सीच लेता हूँ इस उम्मीद में कि हम तो भुगत चुके कम से कम आने वाली नस्लें सुकून पा सके आप से भी भरी अपेक्षा है कुछ लेकर जाने कि सोच रहे हो तो अलग बात है पर अपनी ताकत से दुनिया बदल सकते हो पौधा लगाकर अछ्छा किये हो कुछ जढ़ें भी कटनी है ध्यान रखना

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  5. इस साल एक मैंने एक पेड़ लगाया है, यदि आपने भी लगाया हो तो लिखकर बताना जरूर।

    @ आजकल दिल्ली में पेड़ धड़ल्ले से लगाए जा रहे हैं. यदि संभव हो तो एक पेड़ 'ज़रा इधर भी' लगा जाओ.
    मैंने तो इस साल पेड़ नहीं पौधे लगाए हैं.

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  6. अच्छी और सच्ची सोच

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  7. बहुत अच्छे .... सच में इस साल मैंने कोई पेड़ नहीं लगाया ... अब जरुर लगाऊँगी!

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  8. वास्तव में कुछ अच्छा पढने को मिला जिसे पढ़ कर मन को सुकून मिला.

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  9. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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