शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

अग्नि-पुत्री

 डीआरडीओ को मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उत्तराधिकारी मिल गई हैं। 3000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-4 मिसाइल के सफल परीक्षण पर हर भारतीय की छाती गर्व से चौड़ी हो गई होगी, लेकिन कम लोगों को पता होगा कि इस प्रॉजेक्ट की डायरेक्टर हैं टेसी थॉमस। टेसी पहली भारतीय महिला हैं, जो देश के मिसाइल प्रॉजेक्ट को देख रही हैं। 

आमतौर पर रणनीतिक हथियारों और न्यूक्लियर कैपेबल बैलिस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है लेकिन पिछले 20 सालों से टेसी थॉमस इस फील्ड में मजबूती से जुड़ी हुई हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या आप अब भी असुरक्षित महसूस करती हैं, तो वह कहती हैं, 'नहीं, बिल्कुल भी नहीं। विज्ञान स्त्री-पुरुष के भेदभाव से परे है। मेरी टीम में पांच- छह महिलाएं हैं।' 

डीआरडीओ साइंटिस्ट टेसी की टीम में 20 महिला साइंटिस्ट थीं। ये सभी अग्नि प्रोग्राम के लिए काम कर रही थीं। हैदराबाद की टेसी 2008 में अग्नि प्रॉजेक्ट डायरेक्टर बनीं। कोझीकोड के थिरूसर इंजिनियरिंग कॉलेज से बीटेक करने वालीं टेसी पुणे के डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ अडवांस्ड टेक्नॉलजी से एमटेक हैं। डीरआडीओ के 'अ गाइडेड वेपन कोर्स' के लिए उनका चयन हुआ और इसी के साथ उनका मिसाइल वुमन के तौर पर सफर शुरू हुआ। 
सफलता का यह परचम लहराने वालीं टेसी के लिए मंगलवार का दिन भले ही सफलता का माइलस्टोन रहा हो लेकिन पिछले दिसंबर अग्नि-2 प्राइम के बुरी तरह लड़खड़ा जाने से वह आहत हुई थीं। दरअसल, अग्नि 2 प्राइम अपनी उड़ान के 30 सेकंड बाद ही बंगाल की खाड़ी में गिर गई थी। 
अग्नि- 4 की सफलता पर मुस्कुराते हुए उन्होंने कहा, 'यह विफलता थी लेकिन पूरी नहीं। हमें बहुत सारा सपोर्ट और प्रोत्साहन मिला। इससे हमें और मेहनत करने की प्रेरणा मिली। वह कहती हैं, 'अब हमें अग्नि 5 का परीक्षण करना है।' अग्नि- 5 के बारे में अनुमान है कि फरवरी तक इसका पहला टेस्ट किया जा सकता है। 
मंगलवार को टेस्ट की गई अग्नि-4 मिसाइल को 2013 तक सेना में शामिल किया जा सकेगा। टेसी ने बताया, 'डॉक्टर एपीजे कलाम मेरे असली गुरु हैं। वह मेरे डायरेक्टर थे। मैं अग्नि प्रोग्राम से 1988 से जुड़ी हूं। मैने अग्नि मिसाइल्स के लिए गाइडेंस प्रोग्राम्स बनाए।'
(नवभारत टाइम्स से सभार)

3 टिप्‍पणियां: