बड़े दिनों बाद चिट्ठी जैसी चिट्ठी आई। नागपुर वाले आरीफ जमाली साहब की चिट्ठी। जमाली साहब जब रायपुर आए थे, तब उनकी कुछ गजलें मैंने जरा इधर भी में पोस्ट की थी। उन्होंने चिट्ठी में कुछ बेहतरीन गजलें और भेजी हैं। पेश है
गजल-1
सुकूं अपने दिल का गंवाया न कर
नजूमी की बातों में आया न कर
तेरे प्यार का भेद खुल जाएगा
अकेले में भी गुनगुनाया न कर
बना उनके ताविज तकिये में रख
हमारे खतों को जलाया न कर
तेरा रिज्क तुझ तक पहुंच जाएगा
गलत रास्तों से बुलाया न कर
न फिर जी सकेगा कहीं चैन से
कभी मां के दिल को दुखाया न कर
अगर है तुझे, जान अपनी अजीज
हर एक को गले से लगाया न कर
फरिश्ते ही झांकें तेरी आंख में
तू आरिफ से नजरें मिलाया न कर
नजूमी-ज्योतिषी, हाथों की लकीरें पढ़नेवाला।
रिज्क-रोजी रोटी
अजीज-प्यारी
गजल-2
जो नफरतों को मिटा दे वह गीत गाता हूं
जो दिल से दिल को मिला दे वह गीत गाता हूं
मैं शब्द-शब्द से एक रौशनी बिखेरुंगा
अंधेरा जग से मिटा दे, वह गीत गाता हूं
कोई किसी से खफा हो, मैं सह नहीं सकता
मुहब्बतों को हवा दे वह गीत गाता हूं
यह कुर्सियों ने लगाई है आग शहरों में
जो गीत आग बुझा दे वह गीत गाता हूं
खुदा के नाम पे बने हैं मस्जिद व मंदिर
खुदा की याद दिला दे वह गीत गाता हूं
मैं अपने गीतों के मरहम लगाऊं जख्मों पर
तड़पती रूहें दुआ करे वह गीत गाता हूं
जगाऊं दर्द मैं आरीफ सभी के सीने में
जो पत्थरों को रुला दे वह गीत गाता हूं
गजल-3
जिंदगी के गम को हंस कर झेलता है आदमी
यह बलाओं को खबर क्या खुद बला है आदमी
साथ मेरे तुम चलो तूफां से लड़ने के लिए
हलकी लहरों पर तो अकसर खेलता है आदमी
जंगलों में सब दरिंदे सुन के हैरत में पड़े
शहर में अब आदमी को खा रहा है आदमी
आदमी को आदमी की बात क्यूं भाती नहीं
बोझ नादानी का अपनी ढो रहा है आदमी
सब के दिल में झांकता था, आज आईना मिला
यानी बरसों बाद आरीफ को मिला है आदमी
-आरीफ जमाली, कामठी (नागपुर) महाराष्ट्र
बहुत ही सुन्दर रचनायें।
जवाब देंहटाएंन फिर जी सकेगा चैन से कभी माँ के दिल को दुखाया न कर ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनायें समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है