मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

आंसुओं ने चूम लिए कदम


केवलकृष्ण
  रायपुर। सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब जलवानशीं हुए तो छत्तीसगढ़ ने बिछकर कदम चूम लिए। रुंधे हुए गले और लरजती हुई आवाज में कहा-मेरे मौला, दुनिया के नक्शे में राई जित्ते बड़े भी कहां हैं हम। आपकी मोहब्बत, जो आपने खुद यहां आकर अपना दीदार करा दिया।
 बोहरा समाज के 52वें दाई सैयदना साहब करीब 66 साल पहले जब रायपुर आए थे तो यहां के लोगों ने यह सोचा भी न होगा कि उनके दीदार की खुशनसीबी दोबारा नसीब होगी। लेकिन खुशनसीबी न सिर्फ खुद को दोहरा रही है, बल्कि दुगनी होकर आई है। बोहरा समाज के लोगों की दोहरी खुशी इस बात को लेकर है कि ठीक उस वक्त, जबकि सैयदाना साहब 100 साल के होने जा रहे हैं, वे रायपुर में हैं। वे 25 मार्च को सौ साल के हो जाएंगे। लोगों में इस बात की भी खुशी है कि सैयदना साहब ने ईद के मुबारक मौके पर रायपुर आकर यहां के लोगों को ईदी दे दी है। वे पहली बार यहां अपने वालिद सैयदना ताहिर सैफुद्दीन के साथ आए थे, और अबकी बार जब वे आए हैं तो रायपुर को 4 करोड़ रुपए की लागत से बनी मस्जिद के रूप में एक शानदारी ईमारत की सौगात देने वाले हैं। सैयदना साहब मंगलवार 9 फरवरी को यह इमारत शहर को सौंप देंगे। इस मस्जिद का निर्माण सदरबाजार में किया गया है और इस तरह रायपुर को मिल रही शानदार ईमारतों का सिलसिला और आगे बढ़ जाएगा। रायपुर में सैयदना साहब का प्रोग्राम पहले 4 रोज का तय हुआ था, लेकिन अब इसमें एक दिन का इजाफा और कर दिया गया है। यानी न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि उड़ीसा और महाराष्टÑ जैसे राज्यों के लिए भी उनके दीदार के लिए मौके ही मौके हैं। इस दौरान उनकी मौजूदगी में कई छोटे-छोटे प्रोग्राम बोहरा समाज ने तय किए हैं।
 जज्बात का सैलाब
सैयदना साहब के छत्तीसगढ़ पहुंचने की खबर पाकर दूर-दराज से भी लोग रायपुर दौड़े आए थे। इस्तेकबाल का प्रोग्राम राम वाटिका में तय हुआ था। एयरपोर्ट से शहर आने के रास्ते में यह जगह तय हुई थी। सुबह 7 बजे से ही हजारों की तादाद में लोग जमा होने लगे थे। सैयदना साहब प्राइवेट प्लेन से पहुंचने वाले थे। लोगों की निगाहें आसमान टटोलती रहीं। किसी प्लेन ने रामवाटिका के ऊपर से उड़ान भरी तो, कोई हेलीकाप्टर फड़फड़ाते हुए गुजरा तो, लगा सैयदना साहब बस आ ही गए हैं। वाटिका के गेट से लेकर भीतर मंच तक तैनात वालेंटियर्स, स्पेशल बैंड के लोग, छत्तीसगढ़ और बाहर से आए बोहरा समाज की कई हस्तियां और मंच के सामने मैदान पर  आम लोग, हर कोई अनुशासित था। गजब के धैर्य के साथ सबकी निगाहें सैयदना साहब का रास्ता निहार रही थीं। सुबह दस बजे के बाद जब शहर के दूसरे इलाकों में धूप चिलचिलाने लगी थी, तब भी श्रीराम वाटिका के माहौल में नरमी थी। दोपहर 12 बजे और फिर एक बजे...खबर आई सैयदना साहब थोड़ी ही देर में जलवानशीं होने ही वाले हैं। जब-जब उम्मीदें उमड़ती तो नारों से वाटिका गूंज उठती। प्लेन लेट था। छोटे-छोटे बच्चों को लिए माएं अपनी जगह पर डटी हुईं थीं। बुजुर्ग सबसे आगे की लाइन में थे ताकि थकी हुई उनकी निगाहें सैयदना साहब को ठीक से देख पाएं। सफेद गुब्बारे हवा में फड़फड़ा कर इस्तेकबाल के लिए अपनी बेताबी जाहिर कर रहे थे। न वहां भूख थी, न प्यास। मीडिया के लोग कल्पना कर रहे थे कि सैयदना साहब  के आते ही थोड़ी अव्यवस्था हो सकती है। लोग शायद उनके दीदार के लिए दौड़े पड़ें और फोटो लेने का मौका ही न मिले। लेकिन हैरानी इस बात की कि जब वह पल सचमुच आया तो ऐसा कुछ नहीं हुआ। हर कोई इस बात का खयाल रख रहा था कि उनकी वजह से सैयदना साहब को जरा भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। जो जहां था, वहीं से खड़ा होकर अपनी सलामी सैयदना साहब तक पहुंचा रहा था। हजारों जोड़े हाथ सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन साहब के इस्तेकबाल के लिए हवा में उठे हुए थे।
और आंसू निकल पड़े
सैयदना साहब की कार वाटिका में दाखिल हुई तो लोगों की आखों से आंसू निकल पड़े। वे फूलों से सजी एक कार में वाटिका में दाखिल हुए। बाहर से निगाहों कार के शीशे का पीछा  कर रही थीं और भीतर से सैयदना साहेब अपना एक हाथ आशीष की मुद्रा में उठाए हर एक को निहार रहे थे। मंच ऐसी जगह पर बनाया गया था और इंतजाम कुछ इस तरह के थे कि मैदान में मौजूद हर शख्स सैयदना साहब का दीदार कर सके। नमाज का वक्त बीत चुका था और ऐसा लग रहा था कि सैयदना साहब के इस्तेकबाल का प्रोग्राम दो-चार मिनट ही शायद चल पाएगा। इस बात की संभावना भी नहीं थी कि इस जगह पर लोगों को उन्हें सुनने का मौका मिल पाएगा। लेकिन किस्मत की मेहरबानी देखिए, सैयदना साहब 20 मिनट से ज्यादा मंच पर रुके। लोगों ने छककर, जीभरकर उनके दीदार किए। और इतना ही नहीं, सैयदना साहब ने वहीं से छत्तीसगढ़ के हक में दुआएं कीं। उन्होंने कहा यहां अमनो-चैन बना रहे, रोजगार में बरकत हो, इस शहर में जितने भी लोग हैं मैं अल्लाताला से हरेक के हक में दुआ कर रहा हूं। और भीड़ ने कहा-आमीन।
बिलासपुर ने न्योता दिया
छत्तीसगढ़ की धरती पर सैयदना को पाकर बिलासपुर के लोग खुद को रोक नहीं पाए। भीड़ के एक कोने में खड़े वे हाथों में तख्तियां लिए सैयदना साहब को बिलासपुर आने का न्योता दे रहे थे। वे बार बार नारे लगाकर उन्हें बिलासपुर बुला रहे थे। मंच पर   उनके प्रतिनिधि के रूप में मौजूद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने भी सैयदना साहब की कदमबोसी की और कहा कि एक बार बिलासपुर भी जरूर आएं।

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