अभी सब सो रहे हैं
सामने की वो टेबल, उस पर रखी किताबें
दीवार पर टंगा टेलीविजन
खिड़कियां, दरवाजे सब।
रातभर की चौकीदारी के बाद
वो लट्टू भी उंघ रहा है
और मैंने अभी-अभी करवट बदली है।
टीssssटी हुट टीssssटी हुट
क्वांय क्वांय, क्वांय क्वांय
खिड़की के बाहर चीख रहा निशाचर
समेट रहा शायद निशाचरों को
चलो-चलो, भागो-भागो
हाथों में लट्ठ लिए सुकवा
इधर ही आ रहा है।
ये करवटों का वक्त है दोस्तों।
ये करवटों का असर है।
-केवलकृष्ण
सामने की वो टेबल, उस पर रखी किताबें
दीवार पर टंगा टेलीविजन
खिड़कियां, दरवाजे सब।
रातभर की चौकीदारी के बाद
वो लट्टू भी उंघ रहा है
और मैंने अभी-अभी करवट बदली है।
टीssssटी हुट टीssssटी हुट
क्वांय क्वांय, क्वांय क्वांय
खिड़की के बाहर चीख रहा निशाचर
समेट रहा शायद निशाचरों को
चलो-चलो, भागो-भागो
हाथों में लट्ठ लिए सुकवा
इधर ही आ रहा है।
ये करवटों का वक्त है दोस्तों।
ये करवटों का असर है।
-केवलकृष्ण
सब सोते हैं, करवट जगती।
जवाब देंहटाएं@हाथों में लट्ठ लिए सुकवा
जवाब देंहटाएंइधर ही आ रहा है।
बहुत खूब……… वैसे सुकवा ही नहीं, मै भी आ रहा हूं लट्ठ लेकर :)