शनिवार, 13 अगस्त 2011

बच्चा लोग ताली बजाएगा

पिटारे में न तो सांप होता है और न ही डिब्बे में कोई नेवला। फिर भी सांप और नेवले के बीच एक धुंआधार टक्कर की उम्मीद बंधाकर मदारी अपना तमाशा पूरा कर ही लेता है। आखिर में वह कहता है-खेल खत्म, बच्चा लोग ताली बजाएगा।
बच्चा लोग जानते हैं कि वे छले गए और तब भी खुद के छले जाने पर ही तालियां पीटते रह जाते हैं, मुस्कुराते हुए।
जिंदगी शायद मदारी जैसी ही है।
मदारी के इस अजब तमाशे का गजब शब्दांकन  आलोक सातपुते की नयी किताब बच्चा लोग ताली बजाएगा है।आलोक सातपुते मुख्यतः लघुकथा लेखक हैं, इसलिए वे इस किताब को लघुकथाओं की मारक क्षमता से लैस कर पाएं हैं, हालांकि इसमें कहानियों का जो समुच्चय संग्रहित है वे सामान्य परिभाषा के तहत लघुकथा जैसे नहीं हैं। ये अलग-अलग कहानियां असल में अलग-अलग होते हुए भी एक दूसरे की पूरक हैं और मिलजुलकर एक महाकथा की बुनियाद रचती हैं। इस रूप में आलोक सातपुते की किताब एक महाकथा की बुनियाद है, इस बुनियाद पर इमारत की कल्पना पाठक अपने-अपने हिसाब से स्वयं करने के लिए स्वतंत्र हैं। वे इसकी दीवारों पर अपनी-अपनी कल्पना के रंग भरने के लिए स्वतंत्र हैं।
बच्चा लोग ताली बजाएगा-कई पात्रों के जरिए समाज के सामाजिक-आर्थिक मनोविज्ञान की पड़ताल करती है। ज्यादातर पात्र निम्न-मध्यमवर्गीय हैं।
आलोक की किताब का प्रकाशन डायमंड पाकेट बुक्स द्वारा किया गया है।

लेखक परिचय-
जन्म 26 नवंबर 1969। शिक्षा-एम.काम। देश के लगभग सभी प्रगतिशील पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन।
 संग्रह का प्रकाशन-1.शिल्पायन प्रकाशन समूह दिल्ली के नवचेतन प्रकाशन से लघुकथा संग्रह अपने-अपने तालिबान का प्रकाशन।
2. सामयिक प्रकाशन समूह दिल्ली के कल्याणी शिक्षा परिषद से एक लघुकथा संग्रह वेताल फिर डाल पर प्रकाशित।
3. डायमंड पाकेट बुक्स, दिल्ली से कहानियों का संग्रह मोहरा प्रकाशित।
4. आत्मकथा कुण्ठाकथा शीघ्र प्रकाश्य।
अनुवाद-अंग्रेजी, उड़िया, उर्दू एवं मराठी भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन।
संपर्क- एलआईजी 832, सेक्टर 5, हाउसिंग बोर्ड कालोनी, सड्डू, रायपुर। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें